Gyanvapi Case:ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद (gyanvapi case hindi)भारत के सबसे लंबे समय तक चलने वाले धार्मिक विवादों में से एक है। (gyanvapi case update today)यह विवाद 355 वर्षों से चल रहा है और 33 वर्षों से मुकदमेबाजी का विषय रहा है। 2021 में, जिला अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा परिसर का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया। 2 वर्ष 152 दिन की सुनवाई के बाद, एएसआई ने अपनी रिपोर्ट 25 जनवरी 2024 को सार्वजनिक की।
Gyanvapi Case:विवाद का इतिहास
हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी (gyanvapi case hindi)मस्जिद एक प्राचीन विश्वनाथ मंदिर के अवशेषों पर बनाई गई थी। 1669 में, मुगल सम्राट औरंगजेब ने कथित तौर पर मंदिर को ध्वस्त कर दिया और उसी स्थान पर मस्जिद का निर्माण करवाया। मुस्लिम पक्ष इस दावे का खंडन करता है और कहता है कि मस्जिद सदियों से मौजूद है।
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मुकदमेबाजी:
1991 में, लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ मामले में पहला मुकदमा दाखिल किया गया था। 2021 में, महिला वादिनी राखी सिंह, सीता साहू, रेखा पाठक, मंजू व्यास और लक्ष्मी देवी ने मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण का अनुरोध करते हुए सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में एक याचिका दायर की।
एएसआई सर्वेक्षण:
जिला अदालत ने एएसआई को मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया। सर्वेक्षण 2022 में शुरू हुआ और 2024 में पूरा हुआ। एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मस्जिद परिसर में कई प्राचीन संरचनाएं हैं, जिनमें मंदिर के स्तंभ, शिलालेख और मूर्तियां शामिल हैं।
रिपोर्ट का प्रभाव:
एएसआई की रिपोर्ट ने विवाद को और भड़का दिया है। हिंदू पक्ष रिपोर्ट को मंदिर के अस्तित्व के प्रमाण के रूप में देखता है, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे एएसआई द्वारा पक्षपातपूर्ण तरीके से तैयार किया गया मानता है।
आगे क्या होगा:
यह कहना मुश्किल है कि ज्ञानवापी मस्जिद विवाद का समाधान कैसे होगा। दोनों पक्षों ने रिपोर्ट को अपने पक्ष में होने का दावा किया है। यह संभावना है कि यह मामला उच्च न्यायालयों और अंततः सुप्रीम कोर्ट में जाएगा।
यह एक जटिल मामला है जिसमें धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक मुद्दे शामिल हैं।
यह महत्वपूर्ण है कि हम सभी पक्षों के दृष्टिकोणों का सम्मान करें और इस मामले का शांतिपूर्ण तरीके से समाधान निकालने का प्रयास करें।
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