Janmashtami और राधा कृष्ण के प्यार का किस्सा हिन्दू भक्ति और साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। राधा, भगवान कृष्ण की प्रेमिका थी और उनके प्रेम का प्रतीक मानी जाती हैं। उनके प्यार की कहानी भक्तों के बीच प्रसिद्ध है और उसे भक्ति और प्रेम की उदाहरण के रूप में देखा जाता है।जन्माष्टमी (Janmashtami )के दिन, भगवान कृष्ण के जन्म की मिठास और रासलीला की यादें ताजगी से जागृत होती हैं।
भक्त इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं और उनके लीलाओं को याद करते हैं। राधा कृष्ण के प्यार का भी यहां विशेष महत्व होता है, क्योंकि उनका प्यार भक्तों को दिव्य प्रेम की ओर प्रेरित करता है।
इस त्योहार पर, भक्त राधा कृष्ण के चित्र और मूर्तियों की सजाकर पूजा करते हैं और उनकी भक्ति और प्रेम का आनंद लेते हैं। जन्माष्टमी(Janmashtami ) एक प्रेम और भक्ति का महान उत्सव है जो भगवान कृष्ण और राधा के आदर्श प्यार को मनाता है।
जन्माष्टमी(Janmashtami )
Janmashtami एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की धार्मिक महत्वपूर्ण तिथि के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार हिन्दू पंचांग के आधार पर भद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अगस्त या सितंबर महीने में आता है।
जन्माष्टमी का महत्वपूर्ण रूप से कृष्ण भक्तों द्वारा मनाया जाता है, और इसे भगवान के लीला को याद करने और उनकी भक्ति में लीन होने का एक मौका माना जाता है। लोग मंदिरों में भगवान की मूर्तियों की पूजा करते हैं, भगवद गीता के पाठ करते हैं, और भगवान के जन्म की कथा का पाठ करते हैं। इस दिन किसी जगह पर श्रीकृष्ण के बचपन की खास गतिविधियों का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें नाटक और रासलीला शामिल होती हैं।
जन्माष्टमी के दिन लोग व्रत रखते हैं और रात को उपवास के बाद पूजा करते हैं, भगवान के लिए फल और मिठाइयाँ चढ़ाते हैं। यह त्योहार हरिद्वार, मथुरा, वृंदावन, और द्वारका जैसे भगवान के महत्वपूर्ण धामों में भी धूमधाम से मनाया जाता है।
“जन्माष्टमी कब है”
“जन्माष्टमी” हर साल हिन्दू पंचांग के आधार पर भद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है, इसलिए इसकी तिथि हर साल बदलती रहती है। इसका मतलब है कि जन्माष्टमी की तारीख हर साल अलग हो सकती है।
आप अपने वर्ष के हिन्दू पंचांग या कैलेंडर की सहायता से या अपने स्थानीय मंदिर या समुदाय से जन्माष्टमी की निश्चित तिथि की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी 2023 | सितंबर 6, 2023 |
घटना | तारीख | समय |
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कृष्ण जन्माष्टमी 2023 | सितंबर 6, 2023 | |
अष्टमी तिथि आरंभ | सितंबर 06, 2023 | 03:37 PM |
अष्टमी तिथि समाप्त | सितंबर 07, 2023 | 04:14 PM |
रोहिणी नक्षत्र आरंभ | सितंबर 06, 2023 | 09:20 AM |
रोहिणी नक्षत्र समाप्त | सितंबर 07, 2023 | 10:25 AM |
मिड नाइट मोमेंट | , सितंबर 07 | 12:20 AM |
चंद्रोदय समय | 10:55 PM | |
निशिता पूजा का समय | 11:57 PM से 12:42 AM, सितंबर 07 | |
दही हांडी | सितंबर 7, 2023 |
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