Mahabharat:महाभारत श्रीकृष्ण की कहानी जाने महाभारत का नायक कौन था?

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Mahabharat:महाभारत धर्म और आधर्म की कहानी महाभारत एक महाकाव्य है यह संस्कृत में लिखी गई महाभारत हिन्दू धर्म के दो सबसे महत्वपूर्ण पात्रों, पांडवों और कौरवों के बीच हुए युद्ध और भगवान श्रीकृष्ण की कहानी कहती है। यह दुनिया का सबसे लंबा महाकाव्य है, जिसमें लगभग 1.8 मिलियन से भी अधिक शब्द हैं।

महाभारत, संस्कृत में लिखी गई एक महाकाव्य है, जो हिंदू धर्म के दो सबसे महत्वपूर्ण पात्रों, पांडवों और कौरवों के बीच हुए युद्ध की कहानी कहती है। यह दुनिया का सबसे लंबा महाकाव्य है, जिसमें लगभग 1.8 मिलियन शब्द हैं। महाभारत का प्रारंभिक नाम “जय संहिता” था, और इसे वेद व्यास द्वारा लिखा गया था।

महाभारत की कहानी
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महाभारत की कहानी

महाभारत में कई नायक हैं, जिनमें अर्जुन, कृष्ण, भीम, कर्ण,भीषम पितामह,गुरु द्रोन,अश्वथामा और दुर्योधन आदि शामिल हैं।महाभारत दुवापर युग मे घाटीक हुई थी महाभारत की कहानी शुरू होती है जब पांडवों और कौरवों के बीच राजगद्दी के लिए संघर्ष होता है। पांडव पांच भाई हैं, जिनमें से सबसे बड़ा युधिष्ठिर है और बाकी भाई अर्जुन,भीम,सहदेव नकुल है और कौरवों 105 भाई हैं, जिनमें से सबसे बड़ा दुर्योधन है। फिर दूरशासन है दुर्योधन पांडवों से बहुत ईर्ष्या करता है, और वह उन्हें मारने की योजना बनाता है।

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क्युकि पांडवो के पिता महाराज पाण्डु की मित्यु के बाद सारा राज पाठ दुर्योधन के पिता और महाराज पाण्डु के भाई धितराष्ट्र को राजा बना दिया गया पर क्युकि युधिष्ठिर दुर्योधन से बड़े थे इसलिए वो राजा बनने के पहले दावेदार थे और दुर्योधन को इसी बात से पांडवो से नफरत थी और उसने पांडवो को मारने के लिये अलग अलग योजना बनाई

दुर्योधन का एक मामा भी था जिसका नाम शकुनी था कहा जाता है शकुनी का दीमाग बहुत तेज था और उसने ही पांडवो को मारने के लिये दुर्योधन को योजना बना कर दी थी दुर्योधन ने पांडवो को पहले एक महल मे जलाकर मारने की कोशिश की पर पांडव वहा से बच निकले फिर मामा शकुनी ने पांडवो को चोसर खेलने के लिये आमंत्रित किया और पांडवो ने उनका आमंत्रण मान लिया और चोसर खेलने को तैयार हो गये पर उन्हें क्या पता था ये चोसर उनकी बर्बादी के लिये है

मामा शकुनी ने बड़े छल से पांडवो को चोसर मे हरा दिया और एक एक कर सभी भाईयो को दुर्योधन का गुलाम बना दिया यहा तक की पांडव अपनी पत्नी द्रोपती को भी हार गये और दुर्योधन के भाई दूरशासन ने भरी सभा मे द्रोपती का वस्त्र हरण करने की कोशिश करने लगा द्रोपती ने भगवान श्रीकृष्ण से मदद मांगी और श्रीकृष्ण जी ने उनकी मदद की और दूरशासन वही पर बेहोश हो गया

पर पांडव फिर भी अपना सब कुछ हार चुके थे और मामा शकुनी की योजना के अनुसार, पांडवों को एक जंगल में भेज दिया जाता है, जहां वे 13 साल तक रहना होगा। और 1 साल अज्ञात वर्ष मे रहना होगा । दुर्योधन इस अवसर का उपयोग पांडवों को मारने के लिए करता है, लेकिन वह उनको मार नही पाता

फिर पांडव अपने और द्रोपती के हुऐ अपमान का बदला लेने के लिये कोरवो से युद्ध का ऐलान करते है युद्ध 18 दिनों तक चलता रहा और इसमें कई योद्धाएं भी शामिल थीं जैसे कि भीष्म, द्रोणाचार्य, कर्ण, अर्जुन, युधिष्ठिर, भीम, नकुल, सहदेव, और कृष्ण।

महाभारत की कहानी
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अर्जुन का धर्म संकट: युद्ध शुरू होने से पहले, अर्जुन को अपने शत्रुओं को मारने के बारे में चिंता होती है। उन्हें लगता है कि यह पाप होगा। श्रीकृष्ण अर्जुन को धर्म और न्याय के महत्व के बारे में समझाते हैं, वह अर्जुन को गीता का उपदेश देते है और वे अर्जुन को युद्ध में जाने के लिए मनाते हैं।

युद्ध के 13वें दिन, अर्जुन ने कौरवों के सेनापति भीष्म का वध कर दिया।युद्ध के 14वें दिन, अर्जुन ने कौरवों के सेनापति द्रोणाचार्य का वध कर दिया।युद्ध के 15वें दिन, अर्जुन ने कौरवों के सेनापति कर्ण का वध कर दिया।युद्ध के अंतिम दिन, दुर्योधन और भीम के बीच एक व्यक्तिगत लड़ाई हुई जिसमे भीम ने दुर्योधन को मार दिया

अश्वत्थामा को श्राप क्यों मिला था

महाभारत युद्ध के अंत में, जब पांडवों की जीत हो गई थी, तो अश्वत्थामा ने क्रोध में आकर सोते हुए पांडव पुत्रों की हत्या कर दी थी। इस कृत्य से क्रोधित होकर, भगवान कृष्ण ने अश्वत्थामा को चीर काल तक भटकने का श्राप दिया। इस दौरान पांडवो ने अश्वत्थामा से उसकी मनी भी निकल ली और उसके सिर से खून आने लगा सारे शरीर पर चोट के घाव थे और पीप बहते हुए जंगलों में घूमना पड़ेगा और मौत के लिए चिल्लाना पड़ेगा।और ये घाव कभी नही भरेगे ऐसा श्राप भी था

महाभारत का नायक कौन था?

महाभारत में कई नायक हैं, जिनमें अर्जुन, कृष्ण, भीम, और दुर्योधन शामिल हैं। हालांकि, महाभारत का असली नायक श्रीकृष्ण को माना जाता है। श्रीकृष्ण एक महान योद्धा, एक कुशल राजनीतिज्ञ, और एक दार्शनिक थे। उन्होंने पांडवों को युद्ध में जीतने में मदद की, और उन्होंने उन्हें धर्म और न्याय की राह पर चलने में भी मदद की।

महाभारत श्रीकृष्ण की कहानी


महाभारत श्रीकृष्ण की कहानी

श्रीकृष्ण का जन्म और बचपन

श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था। उनके पिता वसुदेव थे, जो यादवों के राजा थे। उनकी माता देवकी थीं, जो कंस की बहन थीं। कंस एक क्रूर राजा था, जिसने देवकी के सभी बच्चों को मार डाला। हालांकि, श्रीकृष्ण को नंद और यशोदा ने गोकुल में छिपा दिया था।

श्रीकृष्ण ने गोकुल में अपने बचपन का अधिकांश समय बिताया। उन्होंने गोपियों के साथ खेला, और उन्होंने बड़े राक्षसों का वध किया। उन्होंने कंस को भी मार डाला, जो उनके जन्म के समय ही उन्हें मारने की कोशिश कर रहा था।

महाभारत में श्रीकृष्ण की भूमिका

श्रीकृष्ण ने महाभारत में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं। उन्होंने पांडवों के मित्र और सलाहकार के रूप में काम किया। उन्होंने उन्हें धर्म और न्याय की राह पर चलने में मदद की, और उन्होंने उन्हें युद्ध में जीतने में भी मदद की।

श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध के दौरान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अर्जुन को युद्ध में जाने के लिए प्रोत्साहित किया, और उन्होंने उन्हें धर्म और न्याय के महत्व के बारे में सिखाया। उन्होंने अर्जुन को अपने शत्रुओं को मारने के लिए भी मजबूर किया, जो कि एक कठिन निर्णय था।

श्रीकृष्ण का अंत

महाभारत के युद्ध के बाद, श्रीकृष्ण ने द्वारका शहर की स्थापना की। उन्होंने यादवों के राजा के रूप में शासन किया। हालांकि, बाद में यादवों में एक युद्ध हुआ, जिसमें कई लोग मारे गए। अंत मे श्रीकृष्ण एक वृष के निचे लेटे हुऐ थे वहा एक जरा नाम का शिकारी आया और उसने श्रीकृष्ण जी के पैर को हिरन समझ के तीर मार दिया और वो तीर सीधा उनके पैर मे लगा

जिससे श्रीकृष्ण अपने धाम वेकुंट चले गये पर तीर लगने के बाद श्रीकृष्ण ने जरा नामक शिकारी से कहा था की वो त्रता युग मे श्रीराम थे और वो शिकारी बाली था और उन्होंने भी उसका ऐसे ही वध किया था जैसे आज तुमने किया है कर्मो का फल सबको मिलता है और मुझे भी अपने किये उस कर्म का फल मिल गया है

श्रीकृष्ण की विरासत

श्रीकृष्ण हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता हैं। उन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। उन्हें एक महान योद्धा, एक कुशल राजनीतिज्ञ, और एक दार्शनिक के रूप में सम्मानित किया जाता है। उनकी शिक्षाएँ और कहानियां आज भी हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण हैं।

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