खतरनाक कुत्तों की नस्लों पर रोक लगाने की मांग: केंद्र सरकार का राज्यों को पत्र

केंद्र सरकार ने हाल ही में हुए कुत्तों के हमलों की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए एक अहम कदम उठाया है। उन्होंने राज्य सरकारों को पत्र लिखकर भारत में खतरनाक मानी जाने वाली कुछ खास कुत्तों की नस्लों के आयात, बिक्री और प्रजनन पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया है।

इन प्रतिबंधित नस्लों में पिटबुल, रोट्टवीलर, टेरियर, मैस्टिफ और इनके मिश्रित नस्ल के कुत्ते शामिल हैं। सरकार का मानना है कि ये नस्लें न सिर्फ खतरनाक हैं बल्कि इनके हमले इंसानों की मौत का कारण भी बन सकते हैं।

यह कदम देश में होने वाले कुत्ता हमलों की घटनाओं को कम करने की दिशा में उठाया गया एक सकारात्मक प्रयास है। हालांकि, इस फैसले पर विशेषज्ञों की राय मिश्रित है।

  • समर्थन: कुछ पशु चिकित्सकों और जानवरों के अधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि ये विशिष्ट नस्लें स्वभाव से आक्रामक नहीं होतीं। उनके अनुसार, पालन-पोषण और प्रशिक्षण का कुत्ते के व्यवहार पर अधिक प्रभाव पड़ता है।
  • विरोध: कुछ पशु विशेषज्ञों का कहना है कि सिर्फ नस्ल के आधार पर प्रतिबंध लगाना ठीक नहीं है। उनका तर्क है कि किसी भी नस्ल के कुत्ते को उचित प्रशिक्षण और देखभाल न मिलने पर वह आक्रामक हो सकता है।

यह मुद्दा जटिल है और सिर्फ प्रतिबंध लगाने से समाधान नहीं निकल सकता। इसके लिए समाधान बहुआयामी होना चाहिए:

  • लाइसेंस और पंजीकरण: खास नस्लों के कुत्तों के लिए लाइसेंस और पंजीकरण अनिवार्य कराया जा सकता है।
  • स्वामियों की जवाबदेही: कुत्तों के स्वामियों को सख्त कानून बनाकर उनके पालतू जानवरों को संभालने के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
  • जागरूकता अभियान: लोगों को खासकर बच्चों को कुत्तों से सुरक्षित रहने के तरीकों के बारे में जागरूक करना आवश्यक है।
  • पशु चिकित्सा देखभाल और प्रशिक्षण को बढ़ावा: कुत्तों के लिए उचित पशु चिकित्सा देखभाल और प्रशिक्षण को सुलभ कराना महत्वपूर्ण है।

केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को इस जटिल मुद्दे का समाधान ढूंढने के लिए विशेषज्ञों और पशु कल्याण संगठनों के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है। उम्मीद है कि भविष्य में होने वाली कुत्तों के हमलों की घटनाओं को रोकने के लिए एक प्रभावी रणनीति बनाई जाएगी।

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